Saturday, December 27, 2014

पछतावे की वो रात!!!

जीवन होता कुछ और
गर सच्चाई का न होता साथ
याद अभी भी है मुझको वो पछतावे की रात

एक चालीस की आखिरी लोकल के इंतज़ार में
एक बेंच की दो छोर पकड़े  बैठे थे दो लोग
खोये खोये
अपने मोबाइल से खेलने की अन्जान कोशिश
छिपी नहीं थी दोनों से
उनके जीवन का शायद वो सबसे लम्बा घंटा था
एक मीटर की दूरी शायद मीलों जितनी लम्बी थी
धीमा धीमा सन्नाटा वो
तेज़ हवाएँ सीने में
पता नहीं आगे क्या होगा
नशा बिना ही पीने में

ट्रेन आई और निकल गयी
तब दोनों इतने पास थे
आखों से आखें मिलने की देरी थी
कुछ देर पहले जो अनजाने थे
अब इक दूजे के ख़ास थे
शब्दों के उस खेल से दोनों
काफी दूर निकल आये
Hello/Hi की औपचारिकता
को दूर कहीं वो छोड़ आये

नाम पता ना पूछा इक दूजे का
शायद समय का अभाव था
बज रहा था दोनों के मन में
प्यार का कोई अलाप था
होंठ जभी जो पास आये तो
मुझको तभी ख्याल आया
जिनके लिए जी रहा हूँ जिंदगी
छल न उनसे कर पाऊंगा
इंतज़ार अभी वो करती मेरा 
मुंह क्या उन्हें दिखाऊंगा

ऐसा सोचते सोचते मैंने
हाथ छुड़ाया और भागा
आधे घंटे  बाद में मैंने
खुद को अपने घर पाया
रात के ढाई बजे भी उनको मेरा
खाने पर इंतज़ार था
गले लगने की देर थी मुझको
आखों में आसूं का भंडार था
सुनाई जो आपबीती मैंने उनको
मेरा गला तो भर आया 
कितना प्यार था मुझको उनसे
मुझको तभी समझ आया

जीवन नरक बन जाता है
झूठ की कड़वाई से
कितना चैन होता है ना सच्चाई में!!

PS: This post is written to support #KitnaChainHotaHaiNaSachhaiMe campaign posted @Indiblogger. Enclosed is the heart touching video by Kinley.


Tuesday, December 9, 2014

Stop accidents before they stop you - Traffic Rules Rhyming!!


These traffic rules are made for you
In a way that cannot go against you

Speed limit, has a scientific say
Slow down on curves
Don't stop on highways
Respect that traffic signal
Be it night or day
Flaunting your silky hair can kill you
It's safe to wear a helmet

Never overtake from left
Save your life by wearing seat-belt
Alcohol may be blissful for you
But, a curse while driving under its affects
Give way to pedestrians
As they are the ones
who keep country's carbon footprint checked

I know you are the best driver on the road
But you don't know other person ever
It is ok to slowdown, that won't hurt your ego
Better to be late than never!!


PS: This rhyming was posted to support Nissan Safety Driving Forum Initiative. The concept has been posted on Indiblogger in order to support Nissan Safety Driving Forum.

Friday, November 21, 2014

The reluctant lover - तो कितना अच्छा होता!!


छुपा के सीने में इस दर्द को
हम जी सकते अगर तो कितना अच्छा होता
भुलाकर तुम्हें आगे देखकर
हम जी सकते अगर तो कितना अच्छा होता!

भूली बिसरी बन जातीं वो यादें
बन सकतीं अगर तो कितना अच्छा होता
पाकर के भी जिन्हें हम पा सके वो लम्हे
गर मिल जाते हमें तो कितना अच्छा होता!

वो कश्मकश आवाज जिसे सुनने को हम पागल थे
सुन सकते अगर फिर से तो कितना अच्छा होता
मदभरी सी वो आखें जिनमें थे सैलाब बड़े बड़े
गर डूब जाते हम उसमें तो कितना अच्छा होता!

जैसे आज हमें वो याद नहीं करते
हम भी भूल जाते उन्हें तो कितना अच्छा होता
पाकर के वफ़ा किसी दूजे की
हम भी बेवफा हो जाते तो कितना अच्छा होता!!

PS: The special thing about this poem is that I wrote it when I may be 17-18 year old and didn't know that I could write. Found it in an old journal yesterday and now publishing it on e-world.

Thursday, October 9, 2014

मेरा सवेरा मुझे वापिस कर दो!!

अपने ही घर में बेघर हूँ
सीमाओं में मैं बंटा हुआ
इस पार हो या उस पार बहे
पर खून बहे इंसानों का

दो देशों की उम्मीद हूँ मैं
या कारण उनकी चिंता का
मैं इक गुल-ए-गुलज़ार या फिर
हूँ कब्रिस्तान जवानों का

हूँ हरी वादियाँ पर्वत की
या इक चुपचाप सा ज्वालामुखी
मैं हूँ या मैं हूँ ही नहीं
मैं सूची एक सवालों की

आजाद हूँ मैं और गुलाम भी हूँ
दो देशों का स्वाभिमान भी हूँ
हूँ मैं धरती का एक स्वर्ग
या बन्दर बाँट नतीजा हूँ

सीमाओं के बंटवारे में
नुक्सान हमेशा मेरा है
ये रात गुजरने का इंतज़ार
ख्वाबों में एक सवेरा है!!

Saturday, August 16, 2014

स्वतंत्र भारत...पराधीन नागरिक!!!


देश बेहाल है, बड़ा खस्ता हाल है
जिनको होना चाहिए मलाल है
करते वही बवाल हैं
बिन जवाब का सवाल है, बड़ा खस्ता हाल है!

कॉर्पोरेटर कभी काम करता
मिनिस्टर चक्का जाम है करता
पुलिस किसी की सुनती ना यहाँ पर
सबसे बड़े  गणतंत्र के गान ये रटता
संस्कृति की गाजर दिखा कर
लड़कियों का पहनावा इसे खलता
बलात्कार जैसे क्रूर जुर्म को
लौंडो की नादानी समझता
आरक्षण की ढाल दिखा कर
वोटबैंक का धंधा करता!

सादा जीवन तुच्छ विचार
इसके लिए हैं सभी आचार
कोई खट्टा कोई मीठा
एक हाथ में कुरान और दूसरे में गीता
गणतंत्र की पावन कसौटी पर
कोलगेट का लगावे ये टीका
जनता का प्रतिनिधि बनकर
भ्रष्टाचार का यही रचयिता
जाग जाओ और देश बचा लो
खड़ा सामने काल है!

देश बेहाल है, बड़ा खस्ता हाल है
बिन जवाब का सवाल है, बड़ा खस्ता हाल है !!