ज़िंदगी है सबके पास
जी रहे हैं कुछ,
बाकी मौत के प्याले में
पी रहें हैं दुख,
अब तू ही बता ऐ परवरदिगार
ये जिंदगी क्यूँ देता है?
है डोर तो तेरे हाथों मे
इंसान तो बस अभिनेता है I
जब निर्देशक एक ही है
तो हर कहानी हिट क्यूँ नहीं होती,
क्या अब तेरे दरबार मे भी
पैसे के बदले किस्मत बंटती!!