Saturday, August 16, 2014

स्वतंत्र भारत...पराधीन नागरिक!!!


देश बेहाल है, बड़ा खस्ता हाल है
जिनको होना चाहिए मलाल है
करते वही बवाल हैं
बिन जवाब का सवाल है, बड़ा खस्ता हाल है!

कॉर्पोरेटर कभी काम करता
मिनिस्टर चक्का जाम है करता
पुलिस किसी की सुनती ना यहाँ पर
सबसे बड़े  गणतंत्र के गान ये रटता
संस्कृति की गाजर दिखा कर
लड़कियों का पहनावा इसे खलता
बलात्कार जैसे क्रूर जुर्म को
लौंडो की नादानी समझता
आरक्षण की ढाल दिखा कर
वोटबैंक का धंधा करता!

सादा जीवन तुच्छ विचार
इसके लिए हैं सभी आचार
कोई खट्टा कोई मीठा
एक हाथ में कुरान और दूसरे में गीता
गणतंत्र की पावन कसौटी पर
कोलगेट का लगावे ये टीका
जनता का प्रतिनिधि बनकर
भ्रष्टाचार का यही रचयिता
जाग जाओ और देश बचा लो
खड़ा सामने काल है!

देश बेहाल है, बड़ा खस्ता हाल है
बिन जवाब का सवाल है, बड़ा खस्ता हाल है !!

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