अपने ही घर में बेघर हूँ
सीमाओं में मैं बंटा हुआ
इस पार हो या उस पार बहे
पर खून बहे इंसानों का
दो देशों की उम्मीद हूँ मैं
या कारण उनकी चिंता का
मैं इक गुल-ए-गुलज़ार या फिर
हूँ कब्रिस्तान जवानों का
हूँ हरी वादियाँ पर्वत की
या इक चुपचाप सा ज्वालामुखी
मैं हूँ या मैं हूँ ही नहीं
मैं सूची एक सवालों की
आजाद हूँ मैं और गुलाम भी हूँ
दो देशों का स्वाभिमान भी हूँ
हूँ मैं धरती का एक स्वर्ग
या बन्दर बाँट नतीजा हूँ
सीमाओं के बंटवारे में
नुक्सान हमेशा मेरा है
ये रात गुजरने का इंतज़ार
ख्वाबों में एक सवेरा है!!
सीमाओं में मैं बंटा हुआ
इस पार हो या उस पार बहे
पर खून बहे इंसानों का
दो देशों की उम्मीद हूँ मैं
या कारण उनकी चिंता का
मैं इक गुल-ए-गुलज़ार या फिर
हूँ कब्रिस्तान जवानों का
हूँ हरी वादियाँ पर्वत की
या इक चुपचाप सा ज्वालामुखी
मैं हूँ या मैं हूँ ही नहीं
मैं सूची एक सवालों की
आजाद हूँ मैं और गुलाम भी हूँ
दो देशों का स्वाभिमान भी हूँ
हूँ मैं धरती का एक स्वर्ग
या बन्दर बाँट नतीजा हूँ
सीमाओं के बंटवारे में
नुक्सान हमेशा मेरा है
ये रात गुजरने का इंतज़ार
ख्वाबों में एक सवेरा है!!
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