Wednesday, October 19, 2011

तेरे बिन अब अच्छा लगे ये जहां....




फिर ना आना तू वापिस यहाँ,
तेरे बिन अब अच्छा लगे ये जहां..

तेरी यादों के अंधेरो
से बाहर आकर
मैंने अपनी इक दुनिया
बसा ली है,
तुझे पाने की चाहत
में निकला था मैं
तुझे खोना ही आदत
बना ली है
तुझे खोकर
है पाया ऐसा जहाँ,
की लगता है पाया
इक नया आसमान,

फिर ना आना तू वापिस यहाँ,
तेरे बिन अब अच्छा लगे ये जहां..

तेरी बातो के सावन
अब पतझड़ हैं लगते
तेरे आने की आहट
से दिल ना धड़कते
वो दिन चले गए
जब वो आखे समंदर थी
वो लम्हे गुजर गए
जब तुम सबसे सुन्दर थी
ये सुहाना है मौसम
हसीं ये सफ़र है
अकेले हैं तो क्या हुआ
नज़ारे गजब हैं
'
खुश' है ये दिल
हसीं है समां

फिर ना आना तू वापिस यहाँ,
तेरे बिन अब अच्छा लगे ये जहां..

9 comments:

  1. Beautiful, I think moving on is a best thing...Lovely poem...

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  2. Oh yes what nice words.. chalne ka naam zindagi hai.. as Saru said moving on is the best thing :) :)

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  3. @Saru di: I am happy that you liked it :)
    @Sukupedia: Thanks for dropping by...none other than moving ahead could be solution in such cases..
    @Janhvi: Shukriya....

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  4. Bahut Pyari Kavita Wah Kya bat hai.ek nai nazar

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  5. Awesome.. mind blowing.. too good..wonderful.. beyond words.. Keep the momentum going ;)

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. It is so beautiful....specially for those who thinks that losing love is the end of life...

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  8. Thanks everyone...I am glad that you liked it....

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