Monday, May 11, 2015

मेरा गम कितना कम है ~ the irony of life!!



कल रात के मनमुटाव के बाद
दिल के जख्म और गहरे हो गए
जब सवेरे उठा और छज्जे से देखा
की सारी दुनिया कितनी खुश है

इधर उधर चहलकदमी करते 
वो खिलखिलाते हुए बच्चे 
पीपल के नीचे बैठक जमाये 
बुजुर्गों के चेहरे पर वो चमक 
कुँए के पास औरतों का वो झुंड
गपशप की आवाज 
मेरे  चबूतरे तक रही थी
शर्मा जी का लड़का पारले जी का पैकेट लिए
गली के कुत्तों के साथ खेल रहा था
कम्बखत जानवर भी इतने खुश थे

तभी दूध वाला गया और हमने पूछा
और भैया क्या हाल चाल
कहने लगा बहुत खुश है
और मिठाई का डब्बा आगे कर दिया
कल ही उसकी लड़की हुई थी
रसगुल्ले को मुंह में दबाये 
हम चाशनी का मजा ले ही रहे थे
क़ि बगल से चिल्लाने की आवाज आई 
शायद चाची के रोने की आवाज थी
और खबर मिली कि पड़ोस के
रहीम चाचा गुजर गए
चालीस के थे, दो छोटे छोटे बच्चे भी थे उनके
दिल भर आया, दुःख हुआ 
और थोड़ी तसल्ली भी!!

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PS: Did you also find yourself in such situation before?

7 comments:

  1. Birth, death and the little things between us that makes us sad.

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  2. Chund shabdo mei kya khubsoorti se aapne manushya k jiwan ko Samjhaya hai..........
    beautiful lines...

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  3. hmmmm... is it true that seeing people in pain when we are suffering gives some a soothing effect?
    I have been told by a few people not to share your pains or happiness- People get happy to see someone in pain and feel jealous to see someone happy. I could never relate to it though!
    Nicely put forward thoughts!

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    Replies
    1. Hey Shesha...I agree with you that we cannot be happy by seeing other person sad. This poem was in the context of " duniya me itna gum hai, mera gum kitna kum hai".

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