तुझसे वफ़ा करता तो खुद से वफ़ा न कर पाता............
मुताफिक हु की कुछ गलतियाँ हुई हैं मुझसे,
तू मुझे बेवफा कहे तो कोई हर्ज़ नहीं,
मगर तुझसे वफ़ा करता तो खुद से वफ़ा न कर पाता.
मानता हु की मैं गुनेहगार हु तेरा,
गर तुझसे वफ़ा करता तो गुनेहगार खुद का कहलाता.....
Wah bahut sundar...
ReplyDeleteHey Saru...achha laga..aapko pasand aaya.
ReplyDeletewow!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteOustanding. Mind blowing. Wow...
ReplyDeleteAm impressed!
very very nice....
ReplyDeletei used to write on these lines some years back :)
ReplyDeletevafa ka kya hai, aaj hai kal nahi :)
bewafai ki umar lambi hoti hai....
Thanks everyone....
ReplyDelete@Chintan: Bahut khoob kaha aapne...bewafai ki umar lambi hoti hai....
bas..in lines ko mohd rafi ki aawaz mil jaaye..to maza aa jayega :)
ReplyDeleteKunal