Tuesday, March 11, 2014

ये दिल!!!

खयालों के समंदर में तिलमिलाता ये दिल
भावनाओं समंदर में लड़खड़ाता ये दिल
कभी डूबता कभी तैरता
कभी गिरता कभी उड़ता
कभी जिंदगी के छोर पर ठहर जाता ये दिल
 

कभी डरता है ये दूरियों से
और कभी नज़दीकियां हुई मुश्किल
कभी घूमता आवरों कि तरह
और कभी कोने में सिमट जाता ये दिल

कभी हराता हर इक तर्क को
महायोद्धा ये दिल
और कभी उन्हीं तर्कों के चक्रव्यूह में
फंस के हार जाता ये दिल

कभी समझ लेता ये दुसरे के दिल कि कशिश
और कभी अपने ही मन को ना खंगाल पाता ये दिल
कभी आसमान से बड़ा
तो कभी बारिश की बूँद से भी छोटा ये दिल

अनोखा, अदभुत्त और विचित्र ये दिल!!!

4 comments:

  1. Such an awesome read.... I like all of your Hindi poetry you have published here. I seldom come across such works in Hindi these days! Liked it :)

    ReplyDelete
  2. Thanks Shesha!!! huge compliment it is :)

    ReplyDelete
  3. If in Common language, i would i have enjoyed the words :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. Hey..will post the translated version for you soon!!

      Delete

Your feedback here, are my pay-cheques ;)