गुड़िया थी वो मेरी
नन्हीं मुन्ही प्यारी प्यारी
जैसे घर पहुचता था मैं
रोती कह के गाड़ी गाड़ी
चक्कर जो देता मैं उसको
बन जाती फुलवारी वारी
शेव जभी बनाता था मैं
कहती मेरी बारी बारी
सबसे कहती है पापा की
लाडी लाडी लाडी लाडी
पर ऊपर वाले ने कोई
चक्कर और बनाया था
नन्ही मुन्ही सी बच्ची के
दिल में छेद बिठाया था
छह साल की थी मेरी बच्ची
जब ईश्वर ने उसे बुलाया था
कल तक जिस घर में किलकारी थी
अब शमशान समाया था!!!
Oh! That's so tragic! :|
ReplyDeleteSad! Life's not fair to all!
ReplyDeleteSo sad and touching.
ReplyDeleteRasheed
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