Saturday, April 25, 2015

S ~ सूनी सूनी रातें हैं!!


सूनी सूनी रातें हैं
बरसातें सूखी सूखी सी
नामुमकिन मुलाकातें हैं
नज़रें भूखी भूखी सी

सूरज जो आये, रौशनी ना लए
चंदा भी अब तो, गर्मी बढ़ाये
चिड़िया की ची ची
कबूतर गुटरगूं
हमको तो आजकल कुछ भी ना भाये

रंग रसिया अब तो जा रे
रंग रसिया और ना सता!!!

सूनी सूनी राहें हैं
शामें रूठी रूठी सी
खाली खाली बाहें हैं
मुस्कानें झूठी झूठी सी

सावन जो आये, मुझको नहीं भाये
पनघट की रौनक, रास नहीं आये
सहेलियों की चाहत
अब्बा की आहत
हमको तो आजकल कुछ भी ना भाये

रंग रसिया अब तो जा रे
रंग रसिया और ना सता!!!

Author's Note: Busy schedule has kept me behind by 3 letters again for A-to-Z Challenge. This is a Hindi Poem about a girl waiting for her love. 

3 comments:

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